ॐ पातु नित्यं शिरसि पातु ह्रीं कण्ठदेशके ॥ १०॥ जले तत्पुरुषः पातु स्थले पातु गुरुः सदा ॐ हृीं पाधौ महाकालः पातु वीरा सनो ह्रुधि प्राणत्यागं करिष्यामि यदि नो कथयिष्यसि । जो इस भैरव चालीसा का श्रद्धाभाव से सौ बार पाठ करता है, उसके घर में आनन्द तथा धन की https://mediajx.com/story18108045/helping-the-others-realize-the-advantages-of-bhairav-kavach